Chanakya Niti Chapter 4 – चाणक्य (आचार्य चाणक्य), जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त भी कहा जाता है, प्राचीन भारत के एक महान अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ और शिक्षक थे। उन्होंने मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई और तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य के रूप में कार्य किया। उनकी रचना ‘चाणक्य नीति’ आज भी जीवन, राजनीति, नैतिकता और नेतृत्व के अमूल्य सूत्रों का संग्रह मानी जाती है।
चाणक्य नीति क्या है?
चाणक्य नीति एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है, जिसे महान विद्वान और नीति गुरु चाणक्य ने लिखा था। इसमें जीवन के हर पहलू से जुड़ी नीतियाँ, ज्ञान, और व्यवहार के नियम दिए गए हैं। यह नीति हमें सही निर्णय लेने, सफल होने, और जीवन में सही मार्ग पर चलने की सीख देती है।
चाणक्य नीति में राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, शिक्षा, और व्यक्तिगत जीवन के महत्वपूर्ण सूत्र शामिल हैं, जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस समय थे। इसे पढ़कर व्यक्ति अपने चरित्र, सोच और कार्यशैली को सुधार सकता है और जीवन में सफलता पा सकता है।
संक्षेप में, चाणक्य नीति जीवन जीने का एक मार्गदर्शक है, जो बुद्धिमत्ता, विवेक और अनुशासन की सीख देता है।सरल शब्दों में, चाणक्य नीति जीवन में सही निर्णय लेने और समस्याओं का समाधान खोजने की कला सिखाती है।
Chanakya Niti Chapter 4 | चाणक्य नीति : चौथा अध्याय
Chanakya Niti Chapter 4 in Hindi में चाणक्य पंडित जीवन, धर्म, पुत्र की महत्ता, विद्या, मित्रता, स्त्री धर्म और आत्मा की रक्षा जैसे गहरे विषयों पर अपनी नीति-बुद्धि से प्रकाश डालते हैं। इस अध्याय में वह बताते हैं कि सही सोच, सही संगत और सही निर्णय जीवन को कैसे सार्थक बनाते हैं। अगर आप जीवन में सही दिशा और नीति की तलाश में हैं, तो यह अध्याय आपकी सोच को नया दृष्टिकोण देगा।
#1
निम्नलिखित बातें माता के गर्भ में ही निश्चित हो जाती हैं —
व्यक्ति कितने साल जिएगा,
वह किस प्रकार का काम करेगा,
उसके पास कितनी संपत्ति होगी,
उसकी मृत्यु कब होगी।
The following five aspects of a person’s life are destined even before birth— his lifespan, the nature of his work, the wealth he will possess, his learning, and the time of his death.

#2
पुत्र, मित्र, सगे संबंधी साधुओं को देखकर दूर भागते हैं; लेकिन जो लोग साधुओं का अनुसरण करते हैं, उनमें भक्ति जागृत होती है और उनके उस पुण्य से उनका सारा कुल धन्य हो जाता है।
Sons, friends, and relatives often distance themselves from sages, yet those who walk in the footsteps of the wise awaken devotion, and their entire lineage is uplifted by that merit.
#3
जैसे मछली दृष्टि से, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चों को पालते हैं — वैसे ही संत-जन पुरुषों की संगति मनुष्य का पालन-पोषण करती है।
Just as the fish nourishes its offspring through sight, the tortoise through focused attention, and the bird through gentle touch — in the same way, the company of saintly men nurtures the soul of a person.
#4
जब आपका शरीर स्वस्थ है और आपके नियंत्रण में है, उसी समय आत्म-साक्षात्कार का उपाय कर लेना चाहिए; क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है।
While the body is healthy and under one’s control—and death still feels distant—one must strive for self-realization. For once death arrives, no further effort can be made.
#5
विद्या अर्जन करना एक कामधेनु के समान है, जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है। वह विदेश में माता के समान रक्षक एवं हितकारी होती है। इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है।
Knowledge is like the wish-fulfilling cow, yielding blessings in every season. Abroad, it guards you like a mother, and thus, it is revered as the most precious hidden treasure.
#6
सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है; क्योंकि एक चंद्रमा ही रात्रि के अंधकार को भगाता है — असंख्य तारे यह काम नहीं करते।
A single virtuous son is greater than a hundred who lack wisdom. For it is the lone moon that dispels darkness—not the countless stars.
#7
एक ऐसा बालक जो जन्मते वक़्त मृत था, एक मूर्ख दीर्घायु बालक से बेहतर है। पहला बालक तो एक क्षण के लिए दुःख देता है, दूसरा बालक उसके माँ-बाप को ज़िंदगी भर दुःख की अग्नि में जलाता है।
A stillborn child brings sorrow only for a moment, while a foolish son with a long life burns his parents with sorrow for a lifetime. The former is thus a kinder fate.
#8
निम्नलिखित बातें व्यक्ति को बिना आग के ही जलाती हैं —
एक छोटे गाँव में बसना जहाँ रहने की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हों।
एक ऐसे व्यक्ति के यहाँ नौकरी करना जो नीच कुल में पैदा हुआ हो।
अस्वास्थ्यवर्धक भोजन का सेवन करना।
जिसकी पत्नी हरदम ग़ुस्से में रहती हो।
जिसका मूर्ख पुत्र हो।
जिसकी पुत्री विधवा हो गई हो।
There are torments in life that burn without flame:
living in a small village lacking essentials,
serving a low-born master,
eating unhealthy food,
a perpetually angry wife,
a foolish son,
and a widowed daughter.
#9
वह गाय किस काम की जो ना तो दूध देती है, ना तो बच्चे को जन्म देती है? उसी प्रकार उस बच्चे का जन्म किस काम का जो ना ही विद्वान हुआ, ना ही भगवान का भक्त हुआ..!!
What use is a cow that gives neither milk nor offspring? Likewise, what is the value of a son who is neither learned nor devoted to the Divine?
#10
जब व्यक्ति जीवन के दुःख से झुलसता है, तो उसे निम्नलिखित ही सहारा देते हैं —
पुत्र और पुत्री,
पत्नी,
भगवान के भक्त।
When the burdens of life grow heavy, three companions bring solace—one’s children, a loving spouse, and the comforting presence of the Lord’s devotees.
#11
ये बातें एक बार ही होनी चाहिए —
राजा का बोलना,
विद्वान व्यक्ति का बोलना,
लड़की का ब्याहना।
Some matters are meant to happen only once in life—
a king’s command,
a scholar’s word,
and a daughter’s marriage.
#12
जब आप तप करते हैं, तो अकेले करें। अभ्यास करते हैं, तो दूसरे के साथ करें। गायन करते हैं, तो तीन लोग करें। कृषि चार लोग करें। युद्ध अनेक लोग मिलकर करें।
Practice austerity alone. Study with a partner. Sing in the company of three. Farm in groups of four. And go to battle with many.
#13
वही अच्छी पत्नी है जो शुचिपूर्ण है, पारंगत है, शुद्ध है, पति को प्रसन्न करने वाली है और सत्यवादी है।
The ideal wife is one who is pure in thought and action, skillful, chaste, pleasing to her husband, and always truthful.
#14
जिस व्यक्ति के पुत्र नहीं हैं उसका घर उजाड़ है। जिसे कोई संबंधी नहीं है, उसकी सभी दिशाएँ उजाड़ हैं। मूर्ख व्यक्ति का हृदय उजाड़ है। निर्धन व्यक्ति का सब कुछ उजाड़ है।
A childless man’s home feels empty. One without relatives sees every direction as barren. The fool’s heart is hollow. And for the poor, all of life is a desolation.
#15
जिस आध्यात्मिक सीख का आचरण नहीं किया जाता, वह ज़हर है। जिसका पेट ख़राब है, उसके लिए भोजन ज़हर है। निर्धन व्यक्ति के लिए लोगों का किसी सामाजिक या व्यक्तिगत कार्यक्रम में एकत्र होना ज़हर है। और एक वृद्ध पुरुष के लिए युवा पत्नी ज़हर है।
Spiritual wisdom that is not practiced becomes poison. Food is poison to the one with indigestion. A social gathering is poison to the poor. And for an old man, a young wife becomes his sorrow.
#16
जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है, उसे दूर करो। जिस गुरु के पास आध्यात्मिक ज्ञान नहीं है, उसे दूर करो। जिस पत्नी के चेहरे पर हरदम घृणा है, उसे दूर करो। जिन रिश्तेदारों में प्रेम नहीं है, उन्हें दूर करो।
Keep away from the man who lacks virtue and compassion. Abandon the teacher who lacks spiritual knowledge. Part ways with the wife whose face shows constant disgust. And distance yourself from relatives devoid of affection.
#17
सतत भ्रमण व्यक्ति को बूढ़ा बना देता है। यदि घोड़े को हरदम बाँध कर रखते हैं, तो वह बूढ़ा हो जाता है। यदि स्त्री अपने पति के साथ प्रणय नहीं करती है, तो वह वृद्ध हो जाती है। धूप में रखने से कपड़े पुराने हो जाते हैं।
Wandering ages a man. A horse tied for too long loses its vitality. A woman who lacks love with her husband grows old too soon. Clothes fade under the sun.
#18
इन बातों पर बार-बार विचार करना चाहिए —
सही समय,
सही मित्र,
सही ठिकाना,
पैसे कमाने के सही साधन,
पैसे खर्च करने के सही तरीके,
आपके ऊर्जा स्रोत।
Reflect again and again upon these:
the right moment,
the right companions,
the right place,
the proper means of income,
wise ways of spending,
and the true source of your strength
#19
द्विज अग्नि में भगवान देखते हैं। भक्तों के हृदय में परमात्मा का वास होता है। जो अल्पमति के लोग हैं, वे मूर्ति में भगवान देखते हैं। लेकिन जो व्यापक दृष्टि रखने वाले लोग हैं, वे जानते हैं कि भगवान सर्वव्यापी हैं।
“द्विज” शब्द का अर्थ है “दो बार जन्मा”। यह शब्द आमतौर पर ब्राह्मणों के लिए प्रयोग होता है, जिन्हें उपनयन संस्कार के बाद “दूसरा जन्म” माना जाता है, जब वे वेदाध्ययन और यज्ञ का अधिकार प्राप्त करते हैं।
For the twice-born, fire is a symbol of the Divine. The heart of the devotee becomes God’s dwelling. Those with narrow minds see God only in idols. But the wise see Him everywhere, in all things.
चाणक्य नीति का यह चौथा अध्याय हमें जीवन के बुनियादी सिद्धांतों से अवगत कराता है — जैसे कि सही संगति का महत्व, विद्या की अमूल्य शक्ति, गुणवान पुत्र की आवश्यकता, आत्मा की रक्षा का धर्म और जीवन को संतुलन से जीने की कला।
यदि आपने इस अध्याय से कुछ नया सीखा है, तो अगला अध्याय और भी गहरा और ज्ञानवर्धक है।