Chanakya Niti Chapter 1 – चाणक्य (आचार्य चाणक्य), जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त भी कहा जाता है, प्राचीन भारत के एक महान अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ और शिक्षक थे। उन्होंने मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई और तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य के रूप में कार्य किया। उनकी रचना ‘चाणक्य नीति’ आज भी जीवन, राजनीति, नैतिकता और नेतृत्व के अमूल्य सूत्रों का संग्रह मानी जाती है।
चाणक्य नीति क्या है?
चाणक्य नीति एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है, जिसे महान विद्वान और नीति गुरु चाणक्य ने लिखा था। इसमें जीवन के हर पहलू से जुड़ी नीतियाँ, ज्ञान, और व्यवहार के नियम दिए गए हैं। यह नीति हमें सही निर्णय लेने, सफल होने, और जीवन में सही मार्ग पर चलने की सीख देती है।
चाणक्य नीति में राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, शिक्षा, और व्यक्तिगत जीवन के महत्वपूर्ण सूत्र शामिल हैं, जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस समय थे। इसे पढ़कर व्यक्ति अपने चरित्र, सोच और कार्यशैली को सुधार सकता है और जीवन में सफलता पा सकता है।
संक्षेप में, चाणक्य नीति जीवन जीने का एक मार्गदर्शक है, जो बुद्धिमत्ता, विवेक और अनुशासन की सीख देता है।सरल शब्दों में, चाणक्य नीति जीवन में सही निर्णय लेने और समस्याओं का समाधान खोजने की कला सिखाती है।
Chanakya Niti Chapter 1 | चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय
चाणक्य नीति का पहला अध्याय हमें जीवन की बुनियादी सच्चाइयों, संगति की शक्ति, और आत्मनियंत्रण जैसे गहरे विषयों से परिचित कराता है। आचार्य चाणक्य के विचार स्पष्ट करते हैं कि कैसे एक व्यक्ति अपने व्यवहार और निर्णयों से अपना भविष्य बदल सकता है।
#1
एक विद्वान भी दुखी हो जाता है यदि वह किसी मूर्ख को उपदेश देता है, यदि वह एक दुष्ट पत्नी का पालन करता है या किसी दुखी व्यक्ति के साथ अत्यंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है।
Even a wise man comes to grief by giving instruction to a foolish disciple, by maintaining a wicked wife, and by excessive familiarity with the miserable.

#2
दुष्ट पति, पत्नी, झूठा मित्र, बदमाश नौकर और सर्प के साथ निवास साक्षात् मृत्यु के समान है।
A wicked wife, a false friend, a saucy servant and living in a house with a serpent in it are nothing but death.

#3
व्यक्ति को आने वाली मुसीबतों से निपट कर धन संचय करना चाहिए। उसे धन को त्याग कर पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए। लेकिन यदि आत्मा की सुरक्षा की बात आती है तो उसे धन और पत्नी दोनों को गौण समझना चाहिए।
One should save his money against hard times, save his wife at the sacrifice of his riches, but invariably one should save his soul even at the sacrifice of his wife and riches.
#4
आगे आने वाली मुसीबतों के लिए धन संचय करे। ऐसा ना कहे की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन तेजी से घटता है।
Save your wealth against future calamity. Do not say, “What fear has a rich man, of calamity?” When riches begin to forsake one even the accumulated stock dwindles away.

#5
उस देश में निवास न करे जहाँ आपकी कोई इज्जत नहीं, जहाँ आप रोजगार नहीं कमा सकते, जहाँ आपके कोई मित्र नहीं और जहाँ आप कोई ज्ञान अर्जित नहीं कर सकते।
Do not inhabit a country where you are not respected, cannot earn your livelihood, have no friends, or cannot acquire knowledge.
#6
वहाँ एक दिन भी ना रुके जहाँ ये पाँच ना हो – धनवान व्यक्ति, विद्वान व्यक्ति जो शास्त्रों को जानता हो, राजा, नदियाँ, और चिकित्सक।
Do not stay for a single day where there are not these five persons: a wealthy man, a Brahmin well versed in Vedic lore, a king, a river and a physician.

#7
बुद्धिमान व्यक्ति ऐसे देश कभी ना जाए जहाँ – रोजगार कमाने का कोई माध्यम ना हो, जहाँ लोग किसी से डरते न हो, जहाँ लोगों को किसी बात की लज्जा न हो, जहाँ लोगों के पास बुद्धिमत्ता न हो, और जहाँ के लोगों की वृत्ति दान-धर्म करने की ना हो।
Wise men should never go into a country where there are no means of earning one’s livelihood, where the people have no dread of anybody, have no sense of shame, no intelligence, or a charitable disposition.
#8
नौकर की परीक्षा जब वह कर्तव्य का पालन न कर रहा हो तब करे, रिश्तेदार की परीक्षा जब आप मुसीबत में हो तब करे, मित्र की परीक्षा विपरीत काल में करे, और जब आपका वक्त अच्छा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करे।
Test a servant during duty, a relative during trouble, a friend in adversity, and a wife during bad times.
#9
अच्छा मित्र हमें तब नहीं छोड़ेगा जब हमें उसकी जरूरत हो, कोई दुर्घटना हो गयी हो, अकाल पड़ा हो, युद्ध चल रहा हो, जब हमें राजा के दरबार में जाना पड़े, या जब हमें श्मशान घाट जाना पड़े।
He is a true friend who does not forsake us in time of need, misfortune, famine, or war, in a king’s court, or at the crematorium (smasana).

#10
जो व्यक्ति किसी नाशवंत चीज के लिए जिसका कभी नाश नहीं होने वाला ऐसी चीज को छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अविनाशी तो चला ही जाता है और इसमें कोई संदेह नहीं की नाशवान को भी वह खो देता है।
He who gives up what is imperishable for that which is perishable, loses that which is imperishable; and doubtlessly loses that which is perishable also.
#11
एक बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह एक इज्जतदार घर की अविवाहित कन्या से विवाह करे, यदि ऐसी कन्या में कोई व्यंग है तो भी। किसी हीन घर की लड़की से वह सुंदर हो तो भी विवाह नहीं करना चाहिए। शादी बराबरी के घरों में हो यह उचित है।
A wise man should marry a virgin of a respectable family even if she is deformed. He should not marry one of a low-class family, though beautiful. Marriage in a family of equal status is preferable.
#12
आप कभी इन पाँच पर विश्वास ना करें – नदियाँ, जिसके हाथ में शास्त्र हो, पशु जिसे नाखून या सींग हो, औरत (यहाँ संकेत भोली सूरत की तरफ है), और राजघरानों के लोग।
Do not put your trust in rivers, men who carry weapons, beasts with claws or horns, women, and members of a royal family.

#13
विष में से भी हो सके तो अमृत निकाल लें। यदि सोना गंदगी में गिरा हो तो उसे उठायें, धोएं और अपनाएं। यदि कोई निचले कुल में जन्म लेने वाला भी आपको सर्वोत्तम ज्ञान देता है तो उसे अपनाएं। उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की लड़की जो महान गुणों से संपन्न है यदि आपको सीख देती है तो उसे भी ग्रहण करें।
Even from poison extract nectar, wash and take back gold if it has fallen in filth, receive the highest knowledge from a low-born person; so also a girl possessing virtuous qualities even if born in a disreputable family.
#14
औरतों में मर्दों के मुकाबले – भूख दो गुना, लज्जा चार गुना, साहस छह गुना और कामना आठ गुना होती है।
Women have hunger two-fold, shyness four-fold, daring six-fold, and lust eight-fold as compared to men.
चाणक्य नीति का प्रथम अध्याय हमें यह सिखाता है कि जीवन में विवेक, आत्म-नियंत्रण और सही संगति कितनी ज़रूरी है। चाणक्य अपने अनुभवों और गहन दृष्टिकोण से बताते हैं कि एक बुद्धिमान व्यक्ति कैसे अपने आचरण, संबंधों और फैसलों से जीवन को सफल बना सकता है। यह अध्याय न केवल व्यवहारिक ज्ञान देता है बल्कि जीवन को संतुलित और सशक्त बनाने की दिशा भी दिखाता है।
अगले अध्याय की ओर बढ़ें 👉
अगर आपको पहला अध्याय ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक लगा हो, तो आगे बढ़ें और दूसरा अध्याय जरूर पढ़ें। चाणक्य नीति के अगले भाग में और भी गहरी बातें, व्यवहारिक नीतियाँ और जीवन बदल देने वाली शिक्षाएँ आपका इंतज़ार कर रही हैं।